The Game is on, Acts of treachery by so-called honest Dr. Gaya Prasad, VC of SVBP Agric. and Technology University, Modi Puram, Meerut
As per RTI information:
The vaccine of Foot and Mouth Disease (FMD) found substandard at CCSNIAH Baghpat in November 2014 (https://www.researchgate.net/ publication/267705649_Testing_ of_FMD_Vaccine_intended_to_be_ used_under_FMD-CP_of_Govt_of_ India_at_CCS_NIAH_Baghpat_UP_ India) was retested at IVRI Izatnagar, Bareilly under directions of chairman of the committee Dr. Gaya Prasad, presently VC at SVBP Agric. & Technology University, Modi Puram, Meerut.
Retesting of FMD vaccine completed on 6th February 2015 and report was submitted to Dr. Gaya Prasad by email. However, the final report in favour of producers of sub-standard FMD vaccine was submitted by Dr. Gaya Prasad on 12 January 2015, almost 25 days before the completion of testing and submission of the testing report.
How? Why? What for? Does he become VC in return of the fraudulent report?
Why on this corruption ICAR & Ministry of Agriculture and Farmers welfare is sitting quietly? Do they are also getting the share from the corruption?
The losses every to farmers of India were estimated to be more than twenty thousand crores per year a few years back and Indian Government spent thousands of crores every year since 2003 on FMD vaccine and FMD control with the outcome of frequent vaccine failures and FMD outbreaks all over India?
This is one face of corruption in the regime of the so-called honest Government of Honest Modi.
घोटाला जारी है: ईमानदार डा. गया प्रसाद के काले कारनामे और सफेद झूठ
RTI में प्राप्त जानकारी के अनुसार:
उस घटिया मुँह पका खुर पका रोग (FMD) वैक्सीन की (जिसकी रिपोर्ट CCSNIAH बागपत से नवेंबर 2014 में दी थी https://www.researchgate.net/ publication/267705649_Testing_ of_FMD_Vaccine_intended_to_be_ used_under_FMD-CP_of_Govt_of_ India_at_CCS_NIAH_Baghpat_UP_ India और उसकी पुन: जाँच के लिए डा. गया प्रसाद, जो आजकल कुलपति SVBP कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपतिहैं कमेटी बनी थी) IVRI इज़्ज़त नगर में जाँच 6 फ़रवरी 2015 को पूरी हुई थी, और रिपोर्ट 7 फ़रवरी 2015 को ईमेल द्वारा भेजी गई थी, परंतु डा. गद्दार प्रसाद ने घातक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के हित में रिपोर्ट 12 जनवरी 2015 को ही जमा कर दी (जाँच रिपोर्ट आने के लगभग 25 दिन पहले).
कैसे? क्यूँ? क्या ख़ाके? क्या उसी के इनाम में उन्हें कुलपति बनाया गया?
इस घोटाले पर कृषि मंत्रालय और भा. कृषि अनु. परिषद कुंडली मारकर क्यों बैठे हैं? क्या उन्हे भी गद्दार कंपनियों से हिस्सा मिल रहा है?
मुँह पका खुर पका रोग से अनुमानित हानि प्रतिवर्ष 20,000 करोड़ से ज़्यादा होती है और हज़ारों करोड़ हर वर्ष भारत सरकार और प्रदेश सरकारें इसकी रोकथाम पर पिछ्ले 13 सालों से खर्च करती आ रही हैं.
आश्चर्य ये नहीं है कि घोटाला हो रहा है क्योंकि ये तो देश की पहचान है, आश्चर्य इस बात पर है कि खेल उस रेफरी की देखरेख में भी जारी है जिसे हमईमानदार मोदी कहतें हैं, जिन्हें इस घोटाले के बारे में जाने कितने बार कितने ढंग से लिखा जा चुका है. क्या होगा इस देश के पशु पालकों का? क्या ऐसे ही दशकोंधोखा खाते रहेंगे जैसे खाते आ रहे हैं?
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