Thursday, June 8, 2017

Good and transparent governance in India: भारत में स्वच्च्छ एवं पारदर्शी सरकार

I wrote on 9th June 2016 to Cabinet Minister of Agriculrure and Farmers Welfare: No Answer till date: : आज तक उत्तर का इंतज़ार है.
मेरा वो पत्र जो ठीक एक वर्ष पहले लिखा गया था माननीय केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन जी को, उचित माध्यम से, जिसमे मैने एक यक्ष प्रश्न उठाया है, आप भी जाने वो क्या है:
1. IVRI में वैक्सीन कैसे पास होती आयी या की जाती है आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि 4 साल में 221 बैच के जो FMD वैक्सीन के नमूने यहाँ जाँच के लिए भेजे गये उनमे से सिर्फ़ 21 ही टेस्ट किए गये, पर पास सारे हो गये. 2014 में 146 में से 3 और 2015 में भी सिर्फ़ 3 टेस्ट किए गये. आख़िर यही तो गुणवत्ता है इस संस्थान की, एक चावल देख ही पहचान लेते हैं कि हांड़ी कैसी है, IP और उसके क़ानून जाएँ भाड़ में हम तो 20 के बदले सिर्फ़ एक शीशी देखकर ही बता देते हैं कि बाकी शिशियाँ कैसी हैं. और तो और बगैर खोले ही शीशी अपने गुण धर्म बता देती है. कभी कभी चूहे भी Ratscan टेस्ट करके काम कर देते हैं, हमारा विज्ञान दुनिया से सदियों आगे का है.
2. महोदय, यक्ष प्रश्न यह है कि: जब FMD महामारी ICAR के संस्थानों में (IVRI, इज़्ज़त नगर; NDRI करनाल आदि) में IIL की FMD वैक्सीन लगाने के बाद भी फैलती है और हज़ारों पशुओं के उत्पादन को ठप्प कर देती है और सैकड़ों पशु काल के गाल में चले जाते हैं, तब ना तो ICAR और ना ही उसके संस्थान IIL पर खराब वैक्सीन देने के लिए कोई हर्जाना माँगते हैं, ना ही कोई केस करते हैं. परंतु जब ICAR का एक वैज्ञानिक सत्य पूर्वक जाँच करके बताता है कि IIL की FMD वैक्सीन अधोमानक गुणवत्ता की है तो ICAR और DADF के भ्रष्ट अधिकारी IIL की वैक्सीन की गुणवत्ता साबित करने के लिए खड़े हो जाते हैं, और IIL उस वैज्ञानिक को सबक सिखाने के लिए 102 करोड़ रुपये की मानहानि का मुक़दमा हैदराबाद में दायर कर देता है, और IVRI निदेशक अपने वैज्ञानिक को एक वकील तक मुहैय्या करने से मना कर देता है. महोदय, क्या आप इस सब में कोई बड़ा घोटाला नही देख पा रहे या फिर बड़ी कुर्सियों पर आप की छाया में बैठे भ्रष्ट अधिकारीओं ने आपको भी भ्रमजाल में फँसा लिया है?
महोदय, सवाल यह है की ऐसा हो रहा है, होता रहा है, आख़िर क्यों?
1. शायद इसलिए कि पैसा बोलता हैं, धूर्त अधिकारियों और कंपनियों की सांठ गाँठ से दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है यह व्यापार, हिस्सा मिल रहा है, जाने कहाँ कहाँ देश बट रहा है.
2. शायद इसलिए कि ईमानदारी को सज़ा देना अब ज़रूरी हो गया है जिससे की इस की जाती को देश से मिटाया जा सके, इसकी देश को अब शायद ज़रूरत बची नही है.
3. इसलिए कि जिससे न्याय माँगने वालों और न्याय दोनो का गला एक ही बार में रेत दिया जाए.
4. शायद इसलिए जिससे कि सच के संदेशवाहकों को संदेश दिया जा सके की अब उनके दिन गये.
5. शायद इसलिए जिससे कि चोरों और कमाऊ अधिकारियों को और उँची उँची जगहों पर बिठा कर अपनी पीढ़ियों को कमजोर और नालायक बनाने के विश्वविद्यालय खोले जा सकें (मेक इन इंडिया).
6. महोदय, आपका यह वैज्ञानिक आपसे सिर्फ़ और सिर्फ़ न्याय की माँग कर रहा हैं, कोई नाजायज़ पक्षपात नहीं. न्याय भी अपने लिए नहीं, मेरी न्याय की माँग इस देश के ग़रीब पशु पालकों के लिए है, देश की अस्मिता के लिए है, देश के सम्मान और अपने पशु सेवा के पेशे के सम्मान के लिए है.
इस पत्र को श्री राधा मोहन सिंह जी के फेस बुक पेज पर भी पोस्ट किया गया था. https://www.facebook.com/SinghRadhaMohan/

1 comment:

  1. This is a very serious matter. Our Agriculture minister is a very ineffective person. Rightly this matter should be raised in Supreme court. But that requires lot of resources. It will be appropriate to report it to Modi ji directly.

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