Friday, September 22, 2023

Is Indian Holy Cow a Muslim or a Christian? क्या गौ माता मुसलमान है या फिर इसाई?

         Is Indian Holy Cow a Muslim or a Christian? क्या गौ माता मुसलमान है या फिर इसाई?

मैं गौभक्तों, गौरक्षको और गौसेवकों से पूछता हूं:

 क्या आप अपनी मां को कभी अनुपयोगी कहते हैं, या अनउत्पादक कहते हैं या माता कभी अनुपयोगी हो सकती है? अगर नहीं तो फिर आप यह कैसे सह लेते हैं की बहुत से सरकारी संस्थान बुढ़िया और बीमार गायों को अनुपयोगी या अनउत्पादक कहकर नीलाम कर देते हैं, अगर गौरक्षक सरकार और उसके संस्थान ही गौरक्षा से भागते हैं तब फिर गौ रक्षा का गाना क्यों गाते हैं?
     क्या गौ माता मुसलमान है या इसाई जो हम उसे मर जाने पर कब्र में दफना देते है? जब गौमाता स्वर्ग सिधार जाती है तब हम गौ माता का हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार क्यों नहीं करते? हम क्यों उसे ईसाई या मुसलमान तरीकों से जमीन में दफना देते हैं?
    क्या कोई बता पाएगा कि सनातन संस्कृति में गौ माता का ऐसा अपमान, जैसा आज हो रहा है, कभी पहले भी हुआ है? आज गौ माता बेघर होकर रह गई है, दर-दर की ठोकरे खाती है, गौशालाओं अर्थात वृद्धाश्रम में आश्रय लेने के लिए मजबूर है, सरकार के दिए Rs. 30 या Rs.50 के दम पर जीवन यापन करने को मजबूर है, हम कैसे गौपुत्र हैं, हम कैसे गौभक्त हैं , हम कैसे गौसेवक हैं?

    यह सब तो यही दिखाता है कि हम सिर्फ झूठ-मूठ के सनातनी हैं, झूठ-मूठ के गौभक्त, झूठ-मूठ के गौसेवक हैं, और सिर्फ दिखावटी हिंदू हैं, हमारा उद्देश्य ना गौरक्षा है ना गौसंवर्धन, तब फिर आप ही बताओ कि हम क्या हैं? और हमारा इस झूठ-मूठ की गौसेवा और गौरक्षा के पीछे असली उद्देश्य क्या है?

      आज ज्यादातर मुस्लिम और ईसाई देशों  में गौसंवर्धन के नए-नए कीर्तिमान बन रहे हैं, भारत भी वहां से नई नई  गौसंवर्धन तकनीकों, गौमाताओं और उन्नत नस्ल सांडो (पता नहीं उसे गौपिता कहूं या सहोदर) या उनके उन्नत वीर्य का आयात कर रहा है। वहां आपको गौमाता भटकती हुई नहीं दिखेगी और ना ही उसे कोई अनुपयोगी और अनुत्पादक कहता है, कारण वहां गाय बूढी नहीं होने दी जाती, परन्तु उसकी देखभाल और उसके आराम में कोई कोताही भी बर्दाश्त नहीं की जाती तो कभी-कभी यह विचार आता है की शायद गौमाता मुस्लिम है, या फिर ईसाई, जहाँ उसे और उसकी संतति को  शायद बहन या बेटी या फिर शरीक़ समझा जाता है (शरीक़ को शरीक़ बर्दास्त कम ही होता, भारत और विश्व के न्यायालयों में ज्यादातर मुकदमें शरीक़ों के मध्य ही लड़े जाते हैं और एक दूसरे की हत्या भी एक आम बात है), जो एक दूसरे को मारते हैं तो एक दूसरे के लिए मरते भी हैं?  

    माता तो एक ही होती है, उसका संवर्धन नहीं, उसकी सेवा की जाती है, वो संतान की सेवा करती है, संवर्धन भी करती है, अतः जब हमने गाय को माता बना लिया तो संवर्धन तो कहना झूठ ही होगा।  शायद इसलिए हम ना तो गौसंवर्धन के वैज्ञानिक तरीकों का विकास करते  हैं ना ही अपनाते हैं। हाँ जहाँ तक सेवा की बात है तो उसका प्रचलन हिन्दू समाज में कम ही दिखता है, शोषण का ज्यादा।  हमारे हिन्दू समाज में सेवा करने वालों (सेवादारों) का एक अलग समूह ही बना दिया गया है जिसे हम शूद्र कहते हैं, जिसे  हम सम्मान देना तो दूर की बात अछूत कहकर पास बैठने पर भी परहेज करते हैं।  यही तो है हमारी सनातन संस्कृति और सेवाभाव। 

     तो अब सोचिए, और हो सके तो उत्तर भी दीजिये कि  आप सच में गौभक्त, गौसेवक या गौरक्षक हैं या फिर यूँ ही वक्त काटते घूम रहें हैं, या फिर आपका वास्तविक इरादा गौमाता का मंदिर बनाकर पत्थर की गाय को पूजना है, जो न कभी बूढी होगी, न काटी जाएगी, न अनुत्पादक होगी, न खायेगी, न पीयेगी, न गोबर करेगी और न ही गंधयुक्त मूत्र द्वारा गंधीला वातावरण उत्पन्न करेगी, बस शांत और संतुष्ट गौमाता मंदिर में विराजमान रहेगी, जहाँ मंदिर के अंदर पुजारी और बाहर भिखारी (कुछ हनुमान रूपा बन्दर भी) हिन्दुओं से उनकी जेब में पड़ी दमड़ी, और चावल या चने के दानों पर  पर नजर गड़ाए बैठे होंगे। 

Published at: https://www.indusnews24x7.com/is-mother-cow-a-muslim-or-a-christian/

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