Monday, September 4, 2023

मेरे देश के लोग

  मेरे देश के लोग

मुझे मालूम है,

मुझे सच बोलने की हर मुमकिन सजा देंगे मेरे देश के लोग.

मुझे एक मुजरिम दिखाने के लिए,

जाने क्या-क्या आरोप मुझ पर लगा देंगे मेरे देश के लोग.


फिर भी मुझे ना मालूम कब, 

सच बोलने का रोग लग गया, 

सनातन झूठ वालों से उलझने का रोग लग गया. 

अब तो बस इंतजार है, 

देखें कब तलक मुझे इस जमीन से उठा देंगे मेरे देश के लोग. 


सच इन्हें चाहिए नहीं और झूठ मेरे पास नहीं तब क्या, 

मुझसे छीन लेंगे मेरे सच बोलने का रोग, ये मेरे देश के लोग.

 

यूं तो इस सराय फानी में कुछ भी बचता नहीं, तो क्या, 

सच को पराजित कर झूठ का जहां बना लेंगे मेरे देश के लोग. 


दुनिया कहती है सच कभी छुपता नहीं तो क्या, 

कभी सनातन झूठ को भी छुपा लेंगे मेरे देश के लोग. 


ये मुझे देंगे तो क्या देंगे, 

सच बोलने की सजा देकर क्या मुझे सच बोलना भुला देंगे मेरे देश के लोग.


ये देंगे तो क्या देंगे,
सनातन धर्म और धर्म के नाम पर, एक दूसरे को गोबर खिलाकर मूत पिला देंगे मेरे देश के लोग.


मानवता उनके दिलों में मर चुकी है,
नकली वैक्सीन और नकली दवा खिला खिलाकर कितनो को सुला देंगे मेरे देश के लोग.


देंगे तो क्या देंगे ये मुझको,
दिन रात दगा देते हैं अपनी मातृभूमि को, मुझसे कौनसा रिश्ता निभा लेंगें मेरे देश के लोग.


सच इन्हें अच्छा नहीं लगता,

धर्म के नाम पर झूठ और अंधविश्वास हर तरफ फैला देंगे मेरे देश के लोग.


इन्हें सिर्फ लड़ना-झगड़ना पसंद है,
तरक्की क्या करेंगे, तरक्की के नाम पर भी फसाद फैला देंगे मेरे देश के लोग.


नफरत भरी हुई है उनके दिलों में,
भाईचारा क्या निभायेंगें, प्यार का भी नफरत से सिला देंगे मेरे देश के लोग.


अगर भगवान सच वालों का होता, तो दुनिया जैसी है वैसी ना होती, ना तू अकेला होता, ना मैं अकेला होता, हम जैसों का भी एक कारवां होता है.


सच सुनना है तो मुझको सुनो, या फिर चुप ही रहने दो
झूठ को सच मैं कैसे कहूं, जो कहते हैं उन्हें कहने दो

आज की सुबह भी सुहानी थी और दोपहर भी रंगीन है, शाम कैसी होगी इसे लेकर तू क्यों फिक्रमंद और गमगीन है.


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